New Delhi/मेघालय/पर्यटन मंत्रालय की सचिव श्रीमती वी विद्यावती ने इस बात पर जोर दिया है कि उत्तर पूर्व में पर्यटन के विकास में क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी को ध्यान में रखा जाना चाहिए। श्रीमती विद्यावती पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मेघालय के शिलांग में आईटीएम के दूसरे दिन आयोजित बिजनेस सत्र में बोल रही थीं। आठ पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने राज्य में नए गंतव्यों के साथ-साथ नए अवसरों के बारे में जानकारी प्रस्तुत की। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के पैनलिस्टों ने ज्ञान सत्र और पैनल चर्चाओं में क्षेत्र में कनेक्टिविटी की प्रगति और विकास पर विचार-विमर्श किया।
सत्र को संबोधित करते हुए सचिव ने कहा- प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन संसाधनों के मामले में पूर्वोत्तर क्षेत्र एक अद्वितीय स्थान रखता है। इस क्षेत्र में विशाल भौगोलिक विविधता होने के कारण एडवेंचर पर्यटन के लिए काफी संभावनाएं हैं। पर्यटन मंत्रालय ने साहसिक पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है और देश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने और विकसित करने की रणनीति के संचालन और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करने के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड का गठन किया है। पर्यटन मंत्रालय ने साहसिक पर्यटन मॉडल कानून का मसौदा तैयार किया है जिसमें दायित्व, संस्थागत ढांचे, दंड, पंजीकरण और बीमा के प्रावधान शामिल हैं। इसे फीडबैक के लिए सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में भेजा गया है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों से पूर्वोत्तर सहित देश के सभी भागों में साहसिक खेल गतिविधियों को शुरू करने के लिए सुरक्षा मजबूत करने के प्रयास में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया।
बताते चले कि, अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों में से एक में क्रमिक आधार पर आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है। यह मार्ट स्थानीय हितधारकों को देशी और विदेशी बाजारों के अपने समकक्षों के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। पर्यटन मंत्रालय ट्रैवल मार्ट में मीडिया और टूर ऑपरेटरों की भी मेजबानी करता है ताकि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ाने के लिए उत्तर पूर्व के विभिन्न पर्यटन उत्पादों और स्थलों के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके।